कौन रोकेगा इस लापरवाही की लहर को?
दून, हरिद्वार व मसूरी में उमड़े पर्यटकराजनीतिक प्रदर्शनों में उड़ाई जा रही है नियमों की धज्जियां
संवाददाता
देहरादून/हरिद्वार। भले ही कोरोना की संभावित तीसरी लहर के खतरे को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक तमाम सतर्कता बरत रही हो लेकिन दूसरी लहर के उतरते ही जिस तरह से पर्यटकों का हुजूम उमड़ रहा है तथा राजनीतिक गतिविधियां जोर पकड़ रही है इस स्थिति में भीड़ से कोविड गाइडलाइनों का पालन कराना असंभव होता दिख रहा है।
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एक तरफ इस भीड़ से बचने के लिए राज्य सरकार कांवड़ यात्रा को शुरू करने से हिचक रही है वहीं दूसरी तरफ आज राजधानी दून में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर हुए दो बड़े प्रदर्शनों के दौरान कोविड नियमों की जो धज्जियां उड़ती देखी गयी, वह हैरान करने वाली थी। इस दौरान न तो किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग देखी गई और न लोग मास्क को तवज्जो देते देखे गये। खास बात यह रही कि इनसे कोई पूछने वाला भी नहीं था कि ऐसा वह क्यों कर रहे हैं। जब आम तौर पर सड़क पर या बाजार में कोई बिना मास्क के दिख जाये तो उसका चालान काट दिया जाता है।
वीकेंड पर मसूरी और नैनीताल में उमड़ी भीड़ को रोकने और कोविड नियमों का अनुपालन कराने को भले ही अलग से एसओपी जारी की गई हो लेकिन आज दून से मसूरी तक जिस तरह पर्यटकों की भीड़ देखी गई उसकी चेकिंग करना भी पुलिस प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण था। ठीक वैसा ही नजारा आज हरिद्वार की तमाम गंगा घाटों पर भी देखा गया जहां भारी संख्या में भीड़ थी और इस भीड़ द्वारा कोविड की गाइडलाइनों को तार—तार किया जा रहा था। यहां पुलिस प्रशासन पूरी तरह से गायब दिखा। लोग बिना मास्क के खूब मौज मस्ती करते दिखे। दून की सड़कों पर बाहर से आने जाने वालों की भारी भीड़ रही। जिधर देखो उधर बस भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है। भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यटक स्थलों पर उमड़ रही भीड़ का संज्ञान लेते हुए चेतावनी दी गई हो लेकिन इस लापरवाही की स्पीड को रोक पाने में शासन—प्रशासन पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। अगर स्थिति यही रहती है तो इसके दुष्परिणामों से बच पाना मुश्किल हो जाएगा।